गिलोय Tinospora Cordifolia Herb Uses, Benefits:
गिलोय को अमृता भी कहा जाता है .*यह एक झाडीदार लता है। इसकी बेल की मोटाई एक अंगुली के बराबर होती है इसी को सुखाकर चूर्ण के रूप में दवा के तौर पर प्रयोग करते हैं। बेल को हलके नाखूनों से छीलकर देखिये
नीचे आपको हरा,मांसल भाग दिखाई देगा । इसका काढा बनाकर पीजिये ।
प्रकृति: गिलोय की प्रकृति गर्म होती है।
तुलना: गिलोय की तुलना सत गिलोय से की जा सकती है।
मात्रा: गिलोय की 20 ग्राम मात्रा में सेवन कर सकते हैं।
1-गिलोय पुरानी पैत्तिक और रक्तविकार वाले बुखारों का ठीक कर सकती है। यह खांसी, पीलिया, उल्टी और बेहोशीपन को दूर करने के लिए लाभकारी है। यह कफ को छांटता है। धातु को पुष्ट करता है। भूख को खोलता है। वीर्य को पैदा करता है तथा उसे गाढा करता है, यह मल का अवरोध करती है तथा दिल को बलवान बनाती है।
2-घी के साथ गिलोया का सेवन करने से वात रोग नष्ट होता है।
3-गुड़ के साथ गिलोय का सेवन करने से कब्ज दूर होती है।
4-शहद के साथ गिलोय का सेवन करने से कफ की शिकायत दूर होती है।
5-यह जड़ी (वनस्पति) जादू कि सी चीज है , पुरे शारीर के जाने अनजाने रोगों के लिए राम बाण कि तरह है
6-गिलोय बुखार को दूर करने की सबसे अच्छी औषधि मानी जाती है।
7-यह सभी प्रकार के बुखार जैसे टायफाइड (मियादी बुखार), मलेरिया, मंद ज्वर तथा जीर्ण ज्वर (पुराने बुखार) आदि के लिए बहुत ही उत्तम औषधि है।
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